✍️ एफिल टॉवर – खूबसूरती का ताज या लोहे का राक्षस?

 

भूमिका:

जब हम पेरिस का नाम सुनते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में एफिल टॉवर की तस्वीर उभरती है। यह केवल एक इमारत नहीं बल्कि पूरे फ्रांस की पहचान है। लोग इसे प्रेम, कला और रोमांस का प्रतीक मानते हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जब यह बनाया गया था, तो फ्रांस के ही हजारों कलाकार और बुद्धिजीवी इसे “शहर की बदसूरती” कहकर विरोध कर रहे थे। आज जिसे हम दुनिया का सबसे रोमांटिक स्मारक कहते हैं, उसे कभी “लोहे का ढांचा” और “लोहे का राक्षस” कहा जाता था।




इतिहास और निर्माण:
एफिल टॉवर का निर्माण 1887 से 1889 के बीच हुआ। इसका डिज़ाइन प्रसिद्ध इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने तैयार किया। 324 मीटर ऊँचा यह टॉवर उस समय दुनिया की सबसे ऊँची धातु संरचना थी। इसे 1889 में आयोजित Exposition Universelle (विश्व मेले) के लिए बनाया गया था, और इसे केवल अस्थायी रूप से खड़ा किया जाना था।

निर्माण में लगभग 18,038 लोहे के टुकड़े और 25 लाख रिवेट्स (लोहे की कीलें) इस्तेमाल की गईं। उस समय इतनी विशाल लोहे की संरचना बनाना एक अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार माना गया।


विवाद और विरोध:
जब एफिल टॉवर का निर्माण शुरू हुआ, तब पेरिस के कई कलाकार, लेखक और बुद्धिजीवी इसके खिलाफ खड़े हो गए। उन्होंने इसे शहर की खूबसूरती पर धब्बा बताया। एक मशहूर फ्रेंच लेखक ने लिखा –
"हमारे सामने यह बेकार और भद्दा ढांचा खड़ा किया जा रहा है, जो पेरिस की नाजुक सुंदरता का अपमान है।"

कुछ ने इसे “लोहे की चिमनी”, तो कुछ ने “भद्दा राक्षस” कहा। यहां तक कि यह मांग उठी कि इसे निर्माण पूरा होने के बाद तोड़ दिया जाए।


समय के साथ बदलाव:
समय बीता, और वही टॉवर जिसे पेरिसवासी नफरत करते थे, आज उनका गौरव बन गया। 20वीं सदी में जब रेडियो और टेलीविजन का दौर आया, तब एफिल टॉवर का महत्व और भी बढ़ गया क्योंकि इसका इस्तेमाल रेडियो ट्रांसमीटर के रूप में होने लगा।

आज यह टॉवर हर साल करीब 70 लाख पर्यटकों को आकर्षित करता है और फ्रांस की अर्थव्यवस्था को अरबों यूरो का लाभ पहुँचाता है।


आधुनिक महत्व:
एफिल टॉवर अब सिर्फ एक स्मारक नहीं, बल्कि फ्रांस की सांस्कृतिक पहचान है। यह साबित करता है कि जो चीज़ कभी कुरूप लगती थी, वही समय के साथ खूबसूरती और गौरव का प्रतीक बन सकती है। रात में जब यह टॉवर रोशनी से चमकता है, तो पूरा पेरिस “City of Lights” की तरह जगमगाता है।


निष्कर्ष:
एफिल टॉवर की कहानी हमें सिखाती है कि हर नई सोच और हर नई रचना को पहले विरोध झेलना पड़ता है। लेकिन अगर विचार मजबूत है और काम शानदार है, तो वही चीज़ आने वाले समय में इतिहास बन जाती है।
एफिल टॉवर आज दुनिया की सबसे खूबसूरत और सबसे ज्यादा देखी जाने वाली इमारत है। यह इंजीनियरिंग, कला और धैर्य का अद्भुत संगम है।

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